नमस्कार,दोस्तों आज हम आपको Beta Version क्या होता है के बारे में पूरी जानकारी इस पोस्ट में देंगे। आपने गूगल प्ले स्टोर पर बीटा वर्जन को अवश्य ज्वाइन किया होगा। तो यह पोस्ट सिर्फ आपके लिए ही है। इसमें आपको Beta Version, Beta Testing, Alpha Testing साथ ही Beta Apps के बारे मे पूरी जानकारी मिलेगी। इसलिए पोस्ट को पूरा पढ़ें और ध्यान से समझें–
Beta Version क्या होता है –
बीटा वर्जन का मतलब किसी एप्लीकेशन या सॉफ्टवेयर का डेवलपमेंट Phase में होना। जब किसी ऐप को बनाया जाता है। App Developers बनाई गई एप्लीकेशन का Beta Version रिलीज करते हैं। जिसको यूजर्स यूज कर उस ऐप बीटा वर्जन में मौजूद Bugs को ढूंढते हैं। कुछ लोगों को ही बीटा वर्जन टेस्ट करने के लिए दिया जाता है।
इसमें ऐप में ऑटोमेटिक Feedback एप डेवलपर को चला जाता है। कि इस ऐप में क्या Bug है। फिर ऐप डेवलपर बीटा वर्जन में मौजूद Bugs को ठीक करते है। जिसके बाद सही Beta App Version को यूजर्स के लिए लांच कर दिया जाता है।
Beta Testing क्या होती है –
बीटा टेस्टिंग में Devoloper के द्वारा बनाया गया App या Software को टेस्ट के लिए भेजा जाता है की ऐप में कोई Bug या Crash होने जैसी कोई समस्या तो नहीं परंतु Beta Testing में खुद डेवलपर ऐप को टेस्ट नहीं करते इसमें यूजर्स की भूमिका सबसे अहम होती है।
App की Beta Testing करने के लिए किसी प्लेटफार्म का सहारा लिया जाता है। जहां से उस ऐप पर यूजर्स को भेजा जाता है।यूजर के द्वारा ऐप को यूज करते वक्त अगर कोई समस्या आती है। तो वह Devoloper को बताता है। जिससे उस समस्या को तुरंत सही कर लिया जाता है।
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Alpha Testing क्या है –
एप या सॉफ्टवेयर की Beta टेस्टिंग से पहले Alpha Testing की जाती है। अल्फा टेस्टिंग में Devoloper की सबसे अहम भूमिका होती है। क्लाइंट की सभी जरूरतों के अनुसार तैयार ऐप को डेवलपर अपनी साइड से पूरी तरह से तैयार करता है। जिसे अल्फा टेस्टिंग कहते हैं। इसमें Developer के द्वारा Unit Testing व Integration Testing जैसे कार्य अल्फा टेस्टिंग में किए जाते हैं। इसके बाद डेवलपर App को Beta Testing के लिए भेजता है।
गूगल प्ले स्टोर में Join The Beta क्या है –
Join The Beta का मतलब आप किसी App की बीटा टेस्टिंग में हिस्सा ले रहे हैं यानी कि जब डेवलपर App का बीटा वर्शन रिलीज करेगा। वह सबसे पहले आपके पास आएगा। आप उस बीटा वर्जन को Install करेंगे।
फिर उस ऐप की Beta Testing आप करेंगे। एप्प यूज़ करते वक्त अगर कोई समस्या आएगी। डेवलपर को उसका पता चल जाएगा। जिन्होंने Join Beta Program को Join किया होता है। उन्हें App के ज्यादा Update आते हैं।
जैसे कि एक तो Beta Testing और फिर उस ऐप का Real Version जो बाकी सभी यूजर यूज करते हैं। अगर आप Join Beta Program से Leave कर जाते हैं। फिर आपको एप का Real Version का अपडेट ही मिलेगा। कोई Beta Testing Version नहीं।
Beta Version के फायदे :
अगर हम किसी ऐप के Beta Version को ज्वाइन करते हैं तो हमें उस ऐप का सबसे पहले बीटा वर्जन मिलता है। जिसको हम Official Version से पहले Use कर सकते हैं। ऐप में आने वाले नए Features हमें यूज करने को मिल जाते हैं।
Beta Version के नुक़सान :
बीटा वर्शन को ज्वाइन करने के बाद कई बार ऐप में Bugs आ जाते हैं। जिससे Application बार–बार Crash होती रहती है।हालांकि ऐसी समस्या को ऑफिशियल वर्जन में Fix कर दिया जाता है। परंतु बीटा वर्जन में आपको ऐसी समस्या आ सकती है।
निष्कर्ष –
आखिर में दोस्तों आपने अक्सर नोटिस किया होगा कि जिस Application को आप Use कर रहे होते हैं। वह एकदम से Crash हो जाती है यानी बंद हो जाती है। इसका कारण है कि आपने उस ऐप के Beta Version को ज्वाइन किया हुआ होता है। ऐसी समस्या आने पर आपको अगले दिन उस App का Official Version दे दिया जाता है। जिसमें यह समस्या आपको दोबारा देखने को नहीं मिलती।
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