हैलो दोस्तों, आज हम इस आर्टिकल में Web3 के बारे में जानेंगे। कि आखिर Web3 क्या है? और इसे क्यों “Future of Internet” कहा जा रहा है। बता दें कि Web3 का दूसरा नाम Web 3.0 है।
साथ ही हम आज जिस वेब का उपयोग कर रहे हैं। वह Web का कौन-सा वर्जन है। Web की शुरू से लेकर अंत तक तमाम जानकारी आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे।
हाल ही में विश्व की सबसे बड़ी कंपनी ट्विटर और दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति ‘Elon Musk’ के बीच ट्विटर को खरीदने हेतु $44 बिलियन की डील हुई थी।
Elon Musk के द्वारा ट्विटर को खरीदने का सबसे बड़ा उद्देश्य ट्विटर को Free Speech Platform बनाना था। तो वही ट्विटर पर बनाए गए Spam Accounts को बंद कर देना था। यानी कि ऐसा प्लेटफॉर्म जो यूजर को बोलने की आजादी दे।
ट्विटर खुद किसी की Free Speech को दबा न सके। वेब3 में भी ठीक इसी प्रकार यूजर्स को सबसे पहली प्राथमिकता दी जाएगी। यूजर अपने डाटा को खुद अपने हिसाब से नियंत्रित कर सकेगा। जो कि Decentralized Network के जरिए संभव होगा।
उदाहरण के लिए: आज विश्व की बड़ी कंपनियां जैसे गूगल और फेसबुक लगभग आधी से ज्यादा दुनिया का डाटा अपने पास क्लाउड सर्वर में स्टोर किए हुए हैं। जिसका उपयोग वह कभी भी अपने किसी उद्देश्य पूर्ति के लिए कर सकती है।
हमारे द्वारा जो कुछ भी Internet पर सर्च किया जाता है। वह सब कुछ यह Web Companies जानती है। हमारी सर्च की गई जानकारी का उपयोग कर यह अपने फायदे के लिए बड़ी बिजनेस कंपनी को यूज़र डेटा शेयर करती हैं और हमें उसी तरह के विज्ञापन दिखाए जाते हैं। परंतु इसका हमें कोई फायदा नहीं। हालाँकि हमें पता है कि यह कंपनियां हमारे डाटा स्टोर किए हुए हैं।
Web3 का आने का सबसे बड़ा कारण यह है कि पूरे विश्व में यह कंपनीज़ ही हमारे data को store किए हुए हैं। पूरा नियंत्रण इन्हीं के पास है। विशेषज्ञों के अनुसार Billions की संख्या में लोगों का डाटा किन्हीं दो कंपनीज के पास होना यूज़र के डेटा की सुरक्षा और प्राइवेसी को लेकर खतरा है।
Google समेत सभी टेक कंपनियों पर हर महीने हैकर्स यूज़र डेटा को चोरी करने हेतु सर्वर पर अटैक करते हैं। जो हमारे लिए चिंता का विषय है। हम इन प्लेटफार्म पर Videos Sharing, Photos, Messaging जैसे सभी चीजें करते हैं। ऐसे में इतनी बड़ी कंपनी का Data Breach होना बेहद गंभीर विषय है।
विश्व की कुछ मशहूर डाटा चोरी (Data Breach) घटना:
- अप्रैल 2019 में 533 मिलीयन Facebook यूज़र्स का डाटा चोरी
- अगस्त 2013 में 3 बिलियन Yahoo यूज़र्स का डाटा चोरी
- अगस्त 2022 में गूगल के द्वारा Arizona देश के Android यूज़र्स को ट्रैक करने पर $85 मिलीयन का जुर्माना
Web3 पूरी तरह से ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा। जिसमें किसी भी तरह का यूजर डाटा चोरी या ट्रैक नहीं हो सकेगा। Web3 के और क्या-क्या खास फीचर्स होंगे और कैसे यह इंटरनेट को पूरी तरह से बदल देगा। सभी बातें आगे हम इस आर्टिकल में जानेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं।
आपसे विनम्र प्रार्थना है कि इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें। क्योंकि आधा अधूरा ज्ञान हमेशा खतरनाक होता है। इसलिए Web3 विषय को पूरी तरह से जाने और समझे।
Web क्या है?
आसान भाषा में Web नाम WWW यानी कि ‘World Wide Web’ से लिया गया है। WWW को ही Web के नाम से जाना जाता है। Web एक ऐसा इंफॉर्मेशन सिस्टम है। जिसमें लोगों के द्वारा लिखे गए आर्टिकल जिन्हें Web Pages भी कहा जाता है शामिल होते हैं। जिन्हें इंटरनेट के द्वारा Access किया जाता है।
देखिए इंटरनेट एक नेटवर्क है ओर जो हम इंटरनेट की मदद से सर्च करते हैं। जो परिणाम हमें दिखते हैं। वह सभी चीजें Web हैं। इंटरनेट Web pages तक पहुँचने का सिर्फ जरिया है।
Web 1.0 क्या है?
Web 1.0 वर्ल्ड वाइड वेब का शुरुआती वर्जन है। इसमें जो वेबसाइट होती थी। वह Static होती थी। यानी कि जिससे Web page में एक बार इंफॉर्मेशन डाल दी। तो वह कभी अपडेट नहीं होगी ओर न ही यूजर इन Static sites पर अपनी प्रतिक्रिया दे सकते थे। जैसे like, Comment, Share करना इत्यादि।
Web 1.0 पर जो sites थी। वह read-only content के तहत काम करती थी। यानी कि उस समय जो कंपनीज़ होती थी। वह सिर्फ कंटेंट पब्लिश करती और यूजर सर्च करके सिर्फ उस कंटेंट को read कर सकता था। हालांकि वह जानकारी सही हो या गलत! यूजर इससे अनजान ही होता था।
वेब 1.0 में किसी भी उद्देश्य पूर्ति हेतु Applications पर काम किया जाता था। तो कंपनी के द्वारा उसे सॉफ्टवेयर को वेब पर Upload कर दिया जाता था। यूज़र उन सॉफ़्टवेयर का कार्य और यह कैसे काम करेगा। जैसी चीजें जान नहीं सकते थे।
यह World Wide Web का सबसे पहला वर्ज़न था। इसलिए सारा नियंत्रण इसे बनाने वाली कंपनीयों के ही पास होता था। Web 1.0 की सभी वेबसाइट personal website के तौर पर मानी जाती थी।
Web 2.0 क्या है?
Web 2.0 वर्ल्ड वाइड वेब का दूसरा वर्जन है। जिसका उपयोग हम आज कर रहे हैं। Web 2.0 एक ‘social web’ है। इसमें हर व्यक्ति अपनी बात रख सकता है। साथ ही खुद भी वेबसाइट बनाकर उस पर कंटेंट डाल सकता है। उसे समयनुसार अपडेट करता है।
साथ ही इसमें गूगल सर्च इंजन के उपयोग से यूजर content डालकर बाकी दूसरे लोगों से कंटेंट के प्रति उनकी प्रतिक्रिया जान सकते हैं। यानी कि like, Comment, Share यूजर कर सकते हैं।
Web 2.0 में वेबसाइट read-And-write पर आधारित sites है। यानी कि यूजर Google, Bing जैसे सर्च इंजन का उपयोग कर दूसरे यूज़र्स को websites के ज़रिए जानकारी उपलब्ध करवाता है और बाकी यूजर के द्वारा उपलब्ध कराई जानकारी खुद भी पढ़ सकता है।
आज जितनी भी Social Media Plateform है। जैसे Youtube, Facebook, Snapchat, redit बड़ी वेबसाइट है। वह सब Web 2.0 के तहत कार्य कर रही है। इसका पूरा फोकस Community पर है ना कि web 1.0 की तरह Companies पर।
Web applications (whatsapp, Facebook, Netflix, pinterest, zoom) बनाई जाती हैं। उनके preview उपलब्ध होते हैं। यूज़र को पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जाती है। कि आप जो कुछ डाउनलोड कर रहे हैं। वह किस प्रकार कार्य करेगा।
साथ ही web 2.0 में जिस भी software या App को आप डाउनलोड करते हैं। उसका Source Code सभी के लिए web पर मौजूद होता है।
परंतु Web 2.0 में बड़ी कंपनी के पास ही यूजर का डाटा स्टोर होता है। वेब के इस वर्जन में यूजर की डाटा और प्राइवेसी पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं है।
आए दिन गूगल और दूसरी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के सर्वर पर हैकर्स डाटा चोरी करने की कोशिशें करते रहते हैं। जिसके कारण विशेषज्ञ वेब 3.0 पर अपनी नजर रखे हुए हैं। जिसे “फ्यूचर ऑफ इंटरनेट” कहा जा रहा है।
Web3 (Web 3.0) क्या है?
Web3 जिसे Web 3.0 भी कहते है। वर्ल्ड वाइड वेब का तीसरा वर्जन होगा। Web3 पर यूजर जो कुछ सर्च करेगा। वह Semantic Web के अंतर्गत परिणाम प्राप्त करेगा। यानी कि जो यूजर सर्च करेगा। उसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) के जरिए सबसे तेज और पूछे गए क्वेश्चन के बिल्कुल सटीक परिणाम ही प्राप्त होंगे। Web3 पर इन्फ़र्मेशन Decentralized Network पर स्टोर होगी। यानी कि इसमें Blockchain का उपयोग होगा। जो यूजर डेटा को प्राइवेट और सुरक्षित रखेगा।
वेब 3.0 के नियम और पॉलिसी पर किसी भी गवर्नमेंट या फिर किसी कंपनी का अधिकार नहीं होगा। सभी नियम और शर्तें के Dao’s (Decentralized autonomous organization) द्वारा Smart Contract में कोड के रूप में लिखी जाएंगी। यानी कि Web3 पर क्या कुछ कंटेंट अपलोड होगा। वह एक Progamming Contract के जरिए निर्धारित होगा।
Web3 की जो Applications होंगी। वह DApps (Decentralized Applications) होगी यानी कि यूजर जो कुछ भी जानकारी इन पर अपलोड करेगा। वह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के जरिए Accessible होगी। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में लोगों का डाटा स्टोर किसी कंपनी के सर्वर पर न होकर आपके और हमारे कंप्यूटर में स्टोर होगा। जिस पर किसी भी कंपनी या सरकार का अधिकार नहीं होगा।
Web3 में यूज़र कुछ भी सर्च या डाटा अपलोड करने के लिए Dapps browser का उपयोग करेगा। जैसे Brave Browser इन ब्राउजर में यूज़र्स को Unique Token ब्लॉकचेन के जरिए दी जाएगी। जिसका उपयोग कर वह वेब 3.0 पर अपने डेटा को सुरक्षित और अपनी प्राइवेसी को सिर्फ अपने तक ही सीमित रखेगा।
नोट: वेब 3.0 को आसानी से समझने के लिए आप सबसे पहले Smart Contract और Blockchain के बारे में जरूर पढ़ें। जिससे आप ज्यादा आसानी से समझ पाएंगे कि वह Web3 यानि Web 3.0 किस प्रकार ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा और किस तरह काम करेगा।
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Centralized, Decentralized और Distributed Networks क्या होते है?
कंपनी या ऑर्गनाइज़ेशन के द्वारा तीन प्रकार के नेटवर्क यूजर्स के डाटा को नियंत्रण करने हेतु बनाए गए हैं। जिसमें Centralized, Decentralized, & Distributed Networks शामिल है। हाल ही में जो सबसे चर्चित नेटवर्क है।वह ब्लॉकचेन पर आधारित Decentralized Network है। इन तीनों प्रकारों को हम बारी-बारी से आपको समझाएंगे।
1. Centralized Network
Centralized Network को हिंदी में ‘केंद्रीकृत नेटवर्क’ कहते हैं यानी कि जो यूजर का किसी भी प्रकार का डाटा होगा। वह एक ही कंपनी के द्वारा नियंत्रित होगा। जैसे वेब 2.0 में सोशल मीडिया कंपनीज़ ही करोड़ों-अरबों लोगों का डाटा नियंत्रण करती है। तो वहीं इन कंपनीज पर उस देश की गवर्नमेंट भी नजर रखती है। यानी कि यूजर की जानकारी सिर्फ एक ही कंपनी गवर्नमेंट ही नियंत्रण करती है। तो वही इन्ही के द्वारा सभी नियम और शर्तें यूजर के लिए रखी जाती है। जिसे यूजर को ना चाहते हुए भी मानना पड़ेगा।
2. Decentralized Network
Decentralized Network को हिंदी में ‘विकेंद्रीकृत नेटवर्क’ कहते हैं। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित यह नेटवर्क यूजर के डाटा पर किसी भी कंपनी, संस्था, गवर्नमेंट की दखलंदाजी नहीं होने देता। यानी कि यूज़र ही खुद अपने डाटा का मालिक होगा। किसी दूसरे नेटवर्क से वह जुड़ा नहीं होगा।
Centralized Network में यूजर डाटा को संचित करने के लिए कंपनीज़ Server बनाती है। तो वहीं Decentralized Network में किसी भी तरह का कोई सर्वर नहीं होगा। ब्लॉकचेन के जरिए सभी users आपने Blocks बनाएंगे। जिसमें जानकारी स्टोर होगी। इन ब्लॉक्स में से डाटा चोरी करना या फिर हैकिंग गतिविधि करना नामुमकिन है। इसे “Decentralized Network” बेहद सुरक्षित माना जाता है।
3. Distributed Network
Distributed Network को हिंदी में ‘वितरित नेटवर्क’ यानी कि “बँटा हुआ नेटवर्क” कहते हैं। यानी कि इसमें यूजर एक से दूसरे कंप्यूटर से कनेक्ट रहता है। एक-दूसरे कंप्यूटर्स से किसी भी तरह का डाटा शेयर कर सकते हैं। डिस्ट्रीब्यूट नेटवर्क का सबसे बड़ा उदाहरण Internet है। इंटरनेट पर सभी डिवाइस एक-दूसरे से जुड़े हैं। सभी एक दूसरे से डाटा शेयर करते हैं। चाहे वह अलग-अलग कंपनी से क्यों ना हो Google अपना डाटा Facebook से शेयर करता है तो फ़ेसबुक गूगल से डाटा शेयरिंग करती है। यह Distributed Network ही है यानी सभी में बँटा हुआ।
Web का इतिहास (World Wide Web History in Hindi)
वर्ल्ड वाइड वेब यानी WWW को ही ‘Web’ कहा जाता है। वर्ष 1989 में Tim Berners-Lee के द्वारा वेब को बनाया गया। जिसमें इंटरनेट का उपयोग कर जानकारी को वेब के जरिए प्राप्त किया जाता है। वेब पर Website, Blogs, Picture Music जैसी सभी चीजें धीरे-धीरे उपलब्ध होने लगी। हालांकि फेसबुक को उस समय सिर्फ वैज्ञानिक ,विश्वविद्यालयों और इंस्टिट्यूट के बीच इनफॉरमेशन शेयरिंग हेतु बनाया गया था। परंतु समय के साथ इसमें विशेषज्ञों के द्वारा कई बदलाव किए गए और वेब 1.0 वेब, 2.0 वर्जन आए जो कि इस प्रकार है।
Web 1.0
कंप्यूटर साइंटिस्ट Tim Berners-Lee के द्वारा Web 1.0 का आविष्कार हुआ। यह वेब का शुरुआती वर्जन था। इसलिए इसे ‘Hypertext Web’ कहा जाता था। जिस प्रकार यूज़र किसी जानकारी को सिर्फ पढ़ सकता था और इस दौर की सभी वेबसाइट Static होती थी। इन पर डाली जानकारी न अपडेट होती थी। न ही हम उस पर कोई प्रतिक्रिया दे सकते थे। वेब 1.0 को सिर्फ Basic HTML, E-Mails, Forum के लिए उपयोग किया जाता था।
Web 2.0
वर्ष 1998 में गूगल की स्थापना के बाद से कई ऐसी वेबसाइट बननी शुरू हुई। जिस पर यूजर खुद कंटेंट को डाल सकते थे। उसे अपडेट कर सकते थे। यहीं से Web 2.0 की शुरुआत हुई होती है। धीरे-धीरे वर्ष 2004 में Youtube और Facebook जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लांच हुए। जहां लोग विश्व भर में लोगों से इंटरनेट के माध्यम से बात कर सकते थे। Videos, Photos, Music शेयर कर सकते थे। सोशल मीडिया का यह युग वेब 2.0 कहलाता है। Web 2.0 को ‘Social Web’ कहा जाता है।
Web 3.0
वेब 3.0 का नाम John Markoff के द्वारा लिया गया था। जो New York Times अखबार में Technology संबंधी टॉपिक कवर करते थे। वेब 3.0 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लेकर मशीन लर्निंग (ML) ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी जैसी फ्यूचर टेक्नोलॉजी का उपयोग होगा और वर्तमान में कई कार्यों में Cryptocurrency के जरिए लेनदेन होगा। जिससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि Web 3.0 की शुरुआत हो चुकी है।
ब्लॉकचेन डेटा को सुरक्षित रखने हेतु बेहद जरूरी है। साथ ही Web3 में किसी कंपनी या संस्था यूजर का डाटा संबंधी जानकारी स्टोर नहीं करेगी। बल्कि यूजर खुद अपने डेटा को Distributed Network के जरिए Blockchain पर सुरक्षित करेगा। किसी भी देश की कंपनी या गवर्न्मेंट यूज़र के लेन-देन उसकी किसी भी तरह की जानकारी वह किस Software, Website का उपयोग कर रहा है। वह देख नहीं पाएगी। सभी चीजें Decentralized Network के जरिए सुरक्षित रहेंगी।
Web3 के 7 ख़ास फ़ीचर्स क्या होंगे?
हालांकि web3 को अभी पूरी तरह से स्थापित नहीं किया गया है। धीरे-धीरे इंटरनेट यूजर्स के द्वारा ब्लॉकचेन जैसी टेक्नोलॉजी को अपनाया जाएगा। तभी वेब 3.0 की Smart Applications को बनाने का काम शुरू होगा। परंतु विशेषज्ञों के द्वारा Web3 के 7 खास फीचर्स जिसे आप Web3 की विशेषता भी कह सकते हैं। इसमें कुछ चीजों को बताया है। जिनका ध्यान में रखते हुए Web3 Architecture तैयार होगा। जो वेब की दुनिया में नई क्रांति लेकर आएगा। तो अब Web3 के 7 खास फीचर्स को जानते हैं।
1. Open-Source Technology
Web3 में सभी चीजें Open-Source रखी जाएंगी। सभी प्लेटफार्म पर हर व्यक्ति अपनी बात रख सकता है। किसी भी कंपनी या फिर गवर्नमेंट का अधिकार नहीं होगा। सभी Resources को वह उपयोग कर सकेगा। डेवलपर्स के द्वारा ऐसे Open-Source Software बनाए जाएंगे। जिसका उपयोग किसी भी देश, समुदाय का व्यक्ति कर सकता है। हालांकि Smart Contracts के जरिए नियम और शर्तें web3 में लिखी जाएंगी। ताकि असामाजिक तत्व इस टेक्नोलॉजी का गलत कार्य में उपयोग न कर सके।
2. Trustless and Permissionless
web3 में स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के जरिए दो यूज़र बिना एक-दूसरे को जाने लेन-देन कर सकते हैं। जिसमें किसी थर्ड पार्टी की जरूरत नहीं होगी। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के जरिए काम कुछ ऐसे होगा। जैसे हम किसी शॉपिंग साइट से प्रोडक्ट खरीदते हैं। और Online Payment करते हैं। इसके बाद सिस्टम हमें खुद जानकारी देता रहता है कि प्रोडक्ट कब तक पहुंचेगा, तारीख, डिलीवरी पर्सन के पहुंचने से पहले OTP (One Time Password) आना जैसी जानकारी हमें मिलती रहती है। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट भी एक प्रोग्रामिंग कॉन्ट्रैक्ट होता है। जिसमें कोडिंग में सभी नियम और शर्तें कार्य करने की प्रक्रिया लिखी होती है Web3 में ऐसी ही तकनीक का उपयोग होगा।
3. Decentralized Network
Web3 पूर्ण रूप से Decentralized Web होने पर इसमें किसी एक कंपनी का स्वामित्व खत्म हो जाएगा। जिससे यूजर का डाटा सुरक्षित होगा। decentralized Network नेटवर्क में जिस तरह Advertisement के लिए यूजर डाटा कलेक्ट किया जाता है। वह web3 में संभव नहीं होगा।
4. Artificial Intelligence (AI)
Web3 में विज्ञापन और यूजर के द्वारा सर्च किया गया। कोई भी टॉपिक AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के जरिए परिणाम देगा। जिससे यूजर के सामने वही परिणाम आएंगे। जिसके बारे में वह सटीक जानकारी चाहता है। Web3 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) अपनी अहम भूमिका निभाएंगे।
5. 3D Visual
ऐसी वेबसाइट बनाई जाएंगी। जिसमें 3D graphics का उपयोग होगा। वह कंटेंट पढ़ने और देखने में एकदम असली अनुभव यूजर को मिलेगा। यह एक तरह से वर्चुअल रियलिटी (VR) की तरह होगा। 3D Visual Website कैसी होगी। इसके दो उदाहरण इस प्रकार है:
6. Semantic Web
Web 2.0 की तरह कीवर्ड्स का उपयोग कर कंटेंट खोजने की बजाय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग कर यूजर को जल्दी और सटीक जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। जिससे कंटेंट को पढ़ने और देखने में यूजर को बेहतर अनुभव मिले। web3 में Semantic Web में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ही सर्च रिजल्ट को बेहतर प्रदर्शित करेंगे।
7. Ubiquity
Ubiquity का हिंदी मतलब होता है ‘सर्वव्यापकता’ यानी कि हर जगह होना Web3 में 5G, 6G नेटवर्क के जरिए सभी डिवाइस एक दूसरे से Connected होंगी। IOT (Internet of things) का उपयोग सबसे ज्यादा web3 में किया जाएगा।
Web 2.0 और Web3 के बीच क्या अंतर हैं?
हमारे लिए यह जानना जरूरी है कि वर्तमान में हम जिस Web 2.0 का उपयोग कर रहे हैं। वह आने वाले web3 से किस प्रकार अलग होगा। आइए इन दोनों के बीच के अंतर को जानते हैं।
संख्या न: | Web 2.0 | Web3 अर्थात Web 3.0 |
1. | Web 2.0 एक Social Web है। जिसमें लोग सोशल मीडिया के जरिए एक-दूसरे से कनेक्ट हैं। उदाहरण: यूट्यूब,फेसबुक सोशल मीडिया प्लेटफार्म इत्यादि। | Web3 एक Semantic web है। जिसमें लोग जो चीजें इंटरनेट पर सर्च करेंगे। उन्हें बिल्कुल सटीक परिणाम AI के माध्यम से प्राप्त होंगे। |
2. | Web 2.0 में मुख्य तौर पर के Community पर फोकस किया गया है। जिसमें कंपनीयां यूजर के लिए प्लेटफार्म बनाती हैं। जैसे: गूगल, फ़ेसबुक, माइक्रोसॉफ़्ट। | Web3 का पूरी तरह फोकस यूजर पर होगा। जो Web3 की सर्विस का उपयोग करेगा। |
3. | Web 2.0 में यूज़र के डेटा को बड़ी कम्पनीयां मैनेज़ करती है। | Web3 में यूज़र खुद अपने डेटा का मालिक होगा। |
4. | Web 2.0 में Web Applications का उपयोग किया जाता है। | Web3 में Smart Applications का उपयोग होगा। जिसमें ब्लॉकचेन के ज़रिए यूज़र की प्राइवसी और डेटा दोनो सुरक्षित होंगे। |
5. | Web 2.0 में Ajax और Java Script जैसी टेक्नॉलजी उपयोग होती है। | Web3 में Semantic web, AI, Machine Learning , Decentralized network का उपयोग यूज़र को बेहतर कांटेंट और उन्हें अपने डेटा को बिना किसी कंपनी की सहायता से सुरक्षित रखने हेतु किया जाएगा। |
6. | Web 2.0 में बड़ी कंपनी इसके द्वारा ही कंटेंट संबंधी नियम और शर्तें लागू की जाती हैं। | Web3 में स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के जरिए सभी नियम और शर्तें कोडिंग के रूप में Encrypt होंगी। |
7. | Web 2.0 में किसी भी टॉपिक को सर्च करने और रैंक करवाने में (SEO) सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन और कीवर्ड्स की अहम भूमिका है। | Web3 में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सर्च इंजन रिजल्ट (SERP) की रूपरेखा तैयार करेंगे। |
8. | Web 2.0 में यूजर को कंपनी के द्वारा दिखाएं विज्ञापन के कोई पैसे नहीं मिलते बल्कि कंपनीयां विज्ञापन से करोड़ों कमाते हैं। | Web3 में DApps Browser बनाए जाएंगे। जिसमें विज्ञापन देखने वाला और विज्ञापन लगाने वाला यूजर दोनों कमाई कर सकेंगे। यह लेनदेन क्रिप्टोकरंसी में होगा। |
Metaverse क्या है?
Metaverse एक तरह की वर्चुअल दुनिया होगी। जिसमें VR (Virtual Reality) और AR (Augmented Reality) हैडसेट के उपयोग से आप वर्चुअल दुनिया में घूम सकेंगे। खरीदारी और गेमिंग कर सकेंगे। Metaverse में इन हेडसेट के उपयोग से आप अपने घर में रहकर किसी भी जगह का बिल्कुल रियल एक्सपीरियंस ले सकते हैं। बता दें कि Meta में हर तरह की फ्यूचर टेक्नोलॉजी का उपयोग होगा। चाहे वह एन.एफ.टी, ब्लॉकचेन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और Web3 Features ही क्यों ना हो।
Web3 और Metaverse के बीच अंतर को स्पष्ट करें?
संख्या न: | Web3 | Metaverse |
1. | Web3 एक डिसेंट्रलाइज्ड वेब होगा। जिसमें यूजर खुद अपने डाटा को कंट्रोल कर सकेगा। | metaverse एक VR/AR पर आधारित एक डिजिटल स्पेस होगा। जिसमें आप एक जगह रह कर अपनी पसंदीदा जगहों का रियल एक्सपीरियंस ले सकेंगे। |
2. | Web3 पूर्ण रूप से Decentralized होगा। जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट, क्रिप्टोकरंसी, NFT (Non Fungible Token), 3D Graphics का उपयोग होगा। | Meta में हर तरह की Future Technology का उपयोग होगा। उदाहरण: WiFI 6, 5G/6G Network, NFT, Blockchain Technology इत्यादि। |
3. | Web3 में DApps (Decentralized Application) बनाई जाएगी। जो स्मार्ट एप्लीकेशन कहलाती है। | metaverse अभी पूर्ण रूप से विकसित नहीं है। अलग-अलग इंडस्ट्री का शामिल होना इसमें अभी बाकी है। निवेश का दौर इसमें अभी जारी है। |
Web3 कैसे काम करेगा?
ब्लॉकचेन एक डिसेंट्रलाइज्ड नेटवर्क है यानी कि इस पर किसी एक गवर्नमेंट या कंपनी ऑर्गेनाइजेशन का नियंत्रण नहीं होता। Web3 में चाहे यूजर का डाटा सुरक्षित रखना हो या फिर किसी भी तरह का लेन-देन। सभी कार्य ब्लॉकचेन पर आधारित होंगे।
तो वहीं इसके अलावा यूजर को इंटरनेट पर बेहतर सर्च रिजल्ट दिखाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग टेक्नोलॉजी का भी उपयोग होगा।
साथ ही बेहतर कनेक्टिविटी के लिए 5G, 6G नेटवर्क स्पीड का उपयोग web3 में होगा। जो इसे बेहद तेज बनाएगा और सबसे तेज रिजल्ट यूजर को प्राप्त होंगे।
ब्लॉकचेन एक ऐसा नेटवर्क है। जिसे आप और हम मिलकर बनाते हैं। इसे बनाने में हर कंप्यूटर्स की अपनी अलग भूमिका होती है। जब भी कोई डेटा या लेनदेन ब्लॉकचेन में होता है तो यूजर अपनी कंप्यूटर्स से ब्लॉकचेन नेटवर्क पर Block बनाने का अनुरोध करता है।
ब्लॉक बनाने के अनुरोध को वे कंप्यूटर्स Accept करते हैं। जो Block Mine करते हैं। जिन्हें miners कहते है। जब यह अनुरोध मंजूर होता है तो कंप्यूटर्स जिन्हें ‘माइनिंग मशीन’ कहा जाता है। वह जटिल Mathematical Puzzle को हल करते हैं। यह Puzzle ही Blockchain नेटवर्क को बेहद सुरक्षित बनाती है।
पजल हल होने के बाद ब्लॉक को Blockchain Networks में जोड़ लिया जाता है और इस प्रकार यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। जिसमें डेटा स्टोर होता रहता है। ब्लॉक्स की चैन बनती रहती है।
Web3 में ठीक इसी प्रकार से यूजर अपने Data को सुरक्षित रख सकेंगे। वह क्या कुछ सर्च कर रहे हैं। उनका किसी कंपनी या सरकार को पता नहीं होगा।
बता दें कि Blockchain में Blocks को हैक नहीं किया जा सकता। तो वही ऐसे ही हजारों-लाखों ब्लॉक बनते जाएंगे जिसमें हमारा डाटा स्टोर रहेगा।
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में उपयुक्त है। हर टेक्नोलॉजी चाहे वह Smart Contracts हो या फिर consensus Alghorithm web3 में अलग अलग कार्यों में इनका उपयोग होगा।
Web3 का भविष्य क्या होगा?
Web 2.0 में बड़ी टेक कंपनियों के द्वारा ही उनके सर्वर में यूजर का सारा डाटा स्टोर होता है। अब चाहे इसमें Chat, photos, videos, documents या फिर ट्रांजैक्शन संबंधी जानकारी हो।
Web 2.0 में यूजर को पहली प्राथमिकता न देने हेतु web3 के बारे में सोचा गया। हालांकि बड़ी Tech Companies के लिए यह बुरे सपने की तरह होगा।
लोगों के द्वारा ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को धीरे-धीरे अपनाने के बाद गूगल, फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों को भी अपने सिस्टम में बदलाव करने होंगे। तो वही इन्हें अपने Open-Source Network पर जोर देना होगा।
क्योंकि ब्लॉकचेन सीधा ओपन-सोर्स टेक्नोलॉजी की तरफ इशारा करती है। जिसे लोगों ने अपनाना भी शुरू कर दिया है। विदेशों में क्रिप्टोकरंसी के जरिए पेमेंट होना शुरू हो चुका है। तो वहीं NFT (नॉन-फंजीबल टोकन) जैसी टेक्नोलॉजी पर भी लोग pictures, videos अपलोड करने लगे हैं और crypto के जरिए लेनदेन करते हैं।
Metaverse जैसी नई फ्यूचर टेक्नोलॉजी में कई बड़ी कंपनियो ने निवेश किया है। जिससे अनुमान है कि Meta के आने से web3 को पूर्ण रूप से स्थापित करने में गति मिलेगी।
जिस प्रकार Web 1.0 समय के साथ गायब हो गया और कुछ Dynamic Websites व लोगों को बेहतर सुविधा देने के लिए कंपनी के द्वारा social platform बनाए गए। जिसे web 2.0 कहा जाने लगा। ठीक इसी प्रकार Smart Applications, Blockchain पर आधारित वेबसाइट बनाये जाने पर web 3.0 की शुरुआत हो चुकी होगी।
Web 2.0 Apps और Web3 DApps क्या है?
जिस प्रकार वेब 2.0 एक सोशल वेब है और इसमें Web Applications को बनाया जाता है। ठीक इसी प्रकार web3 एक Decentralized Web होगा। इसमें डिसेंट्रलाइजेशन एप्स यानि DApps को बनाया जाएगा। जिसका उपयोग इंटरनेट यूजर कर सकेंगे।
चलिए थोड़ा गहराई से जानते हैं। आखिर Web 2.0 Apps किस प्रकार Web3 DApps को रिप्लेस करें।
Uses (उपयोग) | Web 2.0 Apps | Web3 DApps |
Browser | Chrome, Safari, Microsoft Edge | Brave Browser |
Storage | Google Drive , Cloud Servers, Dropbox | Storj IPFS |
Social Network | Facebook, Twitter | Steemit, Akasha |
Messaging | whatsapp, Facebook, Skype, Instagram, Telegram | Status |
streaming | Netflix, Spotify | Ysign UJO Music |
Operating system | Android, IOS | Essentia.one, EOS |
Web3 के क्या-क्या फ़ायदे होंगे?
Web3 के फायदे इस प्रकार हैं:-
- Web3 में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के उपयोग से यूजर अपने डेटा और प्राइवेसी को सुरक्षित रख सकेगा।
- Web3 में लोगों का डाटा किसी कंपनी के सर्वर पर स्टोर न होकर ब्लॉकचेन नेटवर्क पर स्टोर होगा। जिस पर आपका स्वामित्व होगा।
- Web3 में पूरी तरह से AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) को लागू किया जाएगा। जिसमें मशीन यूजर के इंट्रेस्ट के हिसाब से सभी कार्य Web पर करेगी।
- साथ ही इसमें Crypto के द्वारा सुरक्षित लेन-देन होंगे। इसलिए लेनदेन पर किसी भी देश की सरकार या बैंक का अधिकार नहीं होगा।
- Web3 में किसी यूजर के द्वारा डाले गए कंटेंट को पढ़ने हेतु Tokens दिए जाएंगे। यही प्रक्रिया ठीक इसी प्रकार आप पर भी लागू होगी।
- Web3 में यूज़र ही अपने डेटा का मालिक होगा। कोई भी उसकी Ownership छीन नहीं सकेगा। इसमें NFT Token का उपयोग होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यूजर को वही परिणाम दिखाएगा। जो यूजर के लिए फायदेमंद होंगे। जिसके बारे में यूजर ने सर्च की हो। यूजर अपना पूरा सवाल इंटरनेट पर टाइप कर सकेगा। पूछे गए सवाल के हिसाब से AI/ML जवाब देगा।
- बिना किसी नियम और शर्त के लोग अपनी बात रख सकेंगे। Web3 ओपन-सोर्स टेक्नोलॉजी होगी।
Web3 के क्या-क्या नुक़सान होंगे?
विशेषज्ञों के अनुसार Web 3.0 को पूर्ण रूप से स्थापित होने में अभी कई और वर्ष लग सकते हैं। जिसके पीछे अभी कुछ महत्वपूर्ण सवाल हैं। जिनका जवाब अभी किसी के पास नहीं है। चलिए जानते हैं Web3 क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं।
- Web3 पूर्ण रूप से डिसेंट्रलाइज्ड नेटवर्क होने की वजह से कोई यूजर किसी को ट्रैक नहीं कर पाएगा और ना ही कोई गवर्नमेंट ऐसे में Cyber crime जैसी गतिविधि इसमें हो सकती है।
- शुरू में Web 2.0 उपयोगकर्ताओं के लिए भी web3 को समझना बेहद मुश्किल होगा।
- web3 के लिए अलग से प्राइवेसी पॉलिसी नियम और कानून बनाने होंगे।
- लोग ज्यादा समय तक इंटरनेट उपयोग करेंगे। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी उपयोग होगी। जिसमें देशों में बिजली की खपत बढ़ेगी।
- पूर्व टि्वटर सीईओ Jack Dorsey का web3 पर कहना है कि किसी भी वेब में हर यूजर को मालिक नहीं बनाया जा सकता। किसी भी नेटवर्क का एक ही Owner होना चाहिए। वरना इससे भविष्य में कई समस्याएं खड़ी हो सकती हैं।
- आम लोगों के लिए web3 उपयोग करना महंगा हो सकता है।
Web3 से जुड़े कुछ सवाल-जवाब :
Web 3.0 अर्थात Web3 नाम किसने दिया?
वर्ष 2006 में New York Times अख़बार के तकनीकी सम्ब्न्धी आर्टिकल लिखने वाले John Markoff के द्वारा Web3 का नाम एक आर्टिकल में लिया गया था।
Web3 कब तक पूरी तरह से रिलीज़ होगा?
विशेषज्ञो के अनुसार web3 को पूरी तरह स्थापित होने में अभी कई वर्ष लगेंगे। तो वही लोगों के द्वारा ब्लॉकचेन टेक्नॉलजी को कितना जल्दी और कितना ज़्यादा अपनाते है। Web3 का उतना जल्दी प्रसार होगा।
वर्ल्ड वाइड वेब को किसने बनाया था?
वर्ष 1989 में Tim Berners-Lee के द्वारा वेब को बनाया गया। WWW (वर्ल्ड वाइड वेब) को ही Web कहा जाता है।
वर्तमान में कौन-सा Web Version उपयोग में है?
Web 2.0 एक सोशल वेब है। हर तरह के सोशल मीडिया प्लेटफार्म वेब 2.0 के अंतर्गत आते है। वर्तमान में हम वेब 2.0 का ही उपयोग कर रहे है।
Web3 के ख़ास फ़ीचर्स क्या होंगे?
web3 के ख़ास फ़ीचर्स व विशेषतायें इस प्रकार है- 1. ओपन-सोर्स टेक्नॉलजी 2. ट्रस्टलेस और पर्मिशनलेस 3. डिसेंट्रलाइज्ड नेटवर्क 4. AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) 5. 3D विज़ूअल 6. समैंटिक वेब 7. सर्वव्यापकता
Web3 कैसे काम करेगा?
web3 ब्लॉकचेन टेक्नॉलजी के तहत काम करेगा। जिस पर इंटरनेट यूज़र्स का डेटा स्टोर होगा। यह एक Decentralized network होगा।
निष्कर्ष-
आख़िर में दोस्तों अब आप जान चुके हैं कि Web3 किस तरह काम करेगा। हमने आपको इंटरनेट पर सबसे ज्यादा चर्चित टॉपिक को बताया है। जो Web 3.0 से संबंधित था। हालांकि अभी इसपर चर्चाएं ही चल रही है। बता दें कि Web 2.0 में जितनी भी बड़ी टेक कंपनीयां है। अब चाहे वह Google, Facebook, Microsoft इत्यादि। वह भी यूजर की सुरक्षा को लेकर अपने सिस्टम को मजबूत कर रही है।
परंतु बीते कुछ वर्षों में इतनी बड़ी कंपनियों के डाटा चोरी होने पर यूज़र का विश्वास जरूर डगमगाता है। हर कोई इन कंपनी की सेवाओं का उपयोग करता है। तो वहीं web3 के आने से इंटरनेट के नए युग की शुरुआत होगी। यूजर को इंटरनेट पर सर्च करने में, ज्यादा रिसर्च करने की जरूरत नहीं होगी। इसके अलावा भी बहुत से लाभ web3 के आने से मिलेंगे। जो हमने आपको ऊपर बताए हैं।
आपको हमारा आर्टिकल Web3 क्या है? और कैसे काम करेगा? कैसा लगा हमें नीचे कमेंट करके अवश्य बताएं और ऐसी ही टेक्नोलॉजी से संबंधित जानकारी के लिए हमारे ब्लॉग से बने रहे अपने दोस्तों को भी यह आर्टिकल शेयर अवश्य करें।